गीता प्रवचन – 471
“गीता प्रवचन” ग्रन्थ से – प्रवचन-४१ (२५-११-७९) ‘भगवान् की विशेष विभूतियाँ’ बड़भागिन गीतानुयायी मण्डली ! कुछ गम्भीर मुद्रा में ‘महराजश्री’ ने फ़रमाया कि मानव-जन्म लेकर शरीरों तक ही सीमित रह जाना और खाने-पीने एवं विलासिता को ही अपना उद्देश्य मान लेना शर्म की बात है । मानव जन्म की सार्थकता तो इसमें है कि उस शक्ति की पहचान करते हुए सदा-सदा के लिए अपने-आप को आवाग़मन के चक्कर से मुक्त कर लेना – जिस शक्ति के प्रवेश करने से हमारी […]